म्यूचुअल फंड क्या होता हैं ? What is Mutual Fund ?

Mutual Fund क्या हैं ? 
Mutual Fund के बारें में जाने सब कुछ..

म्यूचुअल फंड क्या होता हैं ? 
What is Mutual Fund?

म्यूचुअल | म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड है, जो एसेट मैनेजमेंट कंपनीज AMC फंड को ऑपरेट करती है। इन कंपनियों में कई लोग अपने पैसे निवेश करते हैं म्यूचुअल फंड द्वारा इन पैसों को को बॉन्ड, गोल्ड, शेयर मार्केट समेत कई जगहों पर निवेश किया जाता है।
आसान शब्दों में कहें तो म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगों के पैसे से बना एक फंड होता है यहां पर एक फंड मैनेंजर होता है, जो फंड को सुरक्षित तरीके से थोड़ा-थोड़ा करके अलग-अलग जगह पर निवेश करती है जैसे- शेयर, गोल्ड, बॉन्ड, डिवेंचर आदि पर निवेश करती है जरूरत के मुताबिक के म्यूचुअल फंड में से आप न सिर्फ शेयर बाजार में बल्कि गोल्ड पर भी निवेश कर सकते हैं।
और आसान भाषा में समझे तो म्यूच्यूअल फंड एक ऐसा बकेट (Bucket) है जो कई अलग-अलग निवेशकों से एकत्रित किए हुए पैसे से बना होता है। ये एकत्रित पैसा म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के फण्ड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता हैं।
ये बहुत सारा पैसा फण्ड मैनेजर को विकल्प देता है की वो निवेशकों के पैसों को अलग- अलग जगह लगाकर उसका सही इस्तेमाल करें। इस बकेट में एकत्रित पैसे को स्टॉक मार्केट, बॉन्ड्स, मनी मार्केट आदि में निवेश किया जाता है।

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) क्या होता हैं ?

ऐसी कंपनियां विभिन्न निवेशकों के द्वारा जमा किए गए फंडों को विभिन्न जगहों जैसे इक्विटी, बॉन्ड, गोल्ड, आदि में निवेश करती हैं और इस निवेश से मिलने वाले रिटर्न को निवेशकों में फंड यूनिट्स के आधार पर बांट देती हैं एक अच्छा फंड मैनेजर फंड को सही तरीके से निवेश कर उसपर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर सकता है, जिससे निवेशक को अच्छे रिटर्न प्राप्त होते है।
AMC कंपनी जैसे- Axis Mutual Funds, HDFC Mutual Funds, UTI Mutual Funds, SBI Mutual Funds, Tata Mutual Funds|

म्यूचुअल फंड यूनिट क्या होता है ?

म्यूचुअल फंड में AMC विभिन्न निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और इस पैसे को शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है। निवेशक को उसके पैसे के बदले यूनिट आवंटित कर दिए जाते हैं। अब इन यूनिट के अनुपात में शेयर या बॉन्ड खरीदने-बेचने पर होने वाले मुनाफे को AMC म्यूचुअल फंड होल्डर को यूनिट के हिसाब से बांट देते हैं।

म्यूचुअल फंड काम कैसे करता ? म्यूचुअल फंड के निवेश करने का तरीका।

म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा है कि आपको निवेश करने के लिए मोटी रकम की जरुरत नहीं है आप केवल 100-500 रुपये से भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं मान लीजिए की आप किसी कंपनी का शेयर खरीदना चाहते हैं, लेकिन उसके एक शेयर की कीमत 10000 रुपये है लेकिन म्यूचुअल फंड के जरिये आप ऐसी कंपनियों में केवल 500 रुपये में भी निवेश कर सकते हैं म्यूचुअल फंड सभी निवेशकों से 500-500 रुपये जमाकर उस कंपनी में बड़ी रकम निवेश करती है।

म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे..
  • म्यूचुअल फंड में निवेश पर आपको यह सोचने की जरुरत नहीं होती है कि जिस कंपनी में आप निवेश कर रहे हैं, उसकी ग्रोथ क्या है, ये काम फंड मैनेजर करता है।
  • म्यूचुअल फंड का एक बड़ा फायदा होता है कि यह आपके पैसे को अलग-अलग सेक्टर और एसेट में निवेश करता है। मान कि किसी सेक्टर जैसे बैंकिंग या ऑटो सेक्टर में किसी कारणवश मंदी आ जाती है तो इससे संपूर्ण पोर्टफोलियो पर अधिक फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस सेक्टर में थोड़ा-सा निवेश होगा, जिससे सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • म्यूचुअल फंड में आप 500 या 1000 रुपये से भी SIP की शुरुआत कर सकते हैं आप यह भी तय कर सकते हैं कि कितने अंतराल पर इसमें निवेश करेंगे यह साप्ताहिक, मासिक, तिमाही या सालाना आधार पर हो सकता है इस प्रकार कुछ समय के बाद आप एक बड़ी रकम जुटा सकते हैं।
  • म्यूचल फंड का सबसे बड़ा लाभ यह होता है, कि कोई भी रुचिकर निवेशक मात्र ₹100 से भी म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने की शुरुआत कर सकता है। 
  • म्यूच्यूअल फंड की विभिन्न स्कीम के तहत शेयर्स, बांड्स, सिक्योरिटी जैसे कई विकल्प निवेशकों के लिए मौजूद होते हैं। इन्वेस्टर्स अपने पसंदगी अनुसार अपनी धनराशि को विविध क्षेत्रों में लगा सकता है। 
  • म्यूच्यूअल फंड की सबसे अच्छी बात यह होती है कि इनमें निवेशक जब चाहें आवश्यकता पड़ने पर पैसे निकाल सकते हैं। कुछ चार्जेस देनें पड़ेंगे।
  •  म्यूच्यूअल फंड में अनेक प्रकार की केटेगरी होती है उनमे से आप अपने रिस्क प्रोफाइल के अनुसार बेस्ट स्कीम का चुनाव कर सकते है।
म्यूचुअल फंड में निवेश के नुकसान..
  • शेयर मार्केट में निवेश करना एक जोखिम भरा कार्य होता है, वही म्युचुअल फंड भी काफी हद तक हाई रिस्क विकल्प है। बाजार में अस्थिरता के कारण म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न में भी काफी अंतर देखा जा सकता है। 
  • म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए बेसिक तकनीकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। बाजार में बिना किसी समझ के सीधे निवेश करने से नए निवेशकों को काफी घाटा सहन करना पड़ सकता है।
  • कुछ म्यूच्यूअल फंड्स को मैनेज करने की लागत काफी अधिक होती हैं। आपके फंड्स को मैनेज करने के लिए चार्ज करती हैं जिसमे फण्ड मेनेजर की तनख्वाह और दूसरे खर्चे शामिल होते हैं। 
  • यदि आप तय समय से पहले अपने म्यूचुअल फण्ड से बाहर निकलते है तो एग्जिट लोन के रूप में कुछ चार्ज भी देना होता है तो आप एग्जिट लोन भी इन्वेस्टमेंट करने से पहले पता कर लेना चाहिए।
  • फंड मैनेजर आपके पैसे को अलग अलग जगह पर इन्वेस्टमेंट करते है जिससे डायवर्सन कहा जाता है इससे आपका रिस्क कम होता ही है लेकिन होने वाला प्रॉफिट भी कम हो जाता है।
म्‍यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें ?

म्यूचुअल फंड में दो प्रकार से निवेश कर सकतें है।

एकमुश्‍त| एक है कि आप किसी फंड में एकमुश्‍त (lumpsum) पैसा लगा दें।

SIP| दूसरा तरीका SIP का है SIP यानी सिस्‍टमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान, इसमें रेग्‍युलर मंथली निवेश करना होता है SIP के जरिए 100 रुपये से भी निवेश शुरू किया जा सकता है लॉन्‍ग टर्म के लिए SIP में निवेश करने से कम्‍पाउंडिग का फायदा मिलता है अगर फंड का NAV लगातार बढ़ता है, तो SIP के बजाय एकमुश्‍त निवेश ज्‍यादा फायदा दे सकता है। 

NAV (नेट वैल्यू असेट) क्या होता हैं ?

म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले आपको NAV (Net Asset Value) के बारें में जान लीजिए क्‍योंकि NAV के आधार पर ही तय होगा कि आपको स्कीम की कितनी यूनिट मिलेगी। NAV म्यूचुअल फंड यूनिट की बुक वैल्‍यू होती है। अर्थात NAV आपको किसी भी समय पर फंड की per unit value को बताती है। यानी किसी भी समय पर एक यूनिट की कीमत कितनी है, यही NAV से पता चलता है।
म्‍यूचुअल फंड्स NAV के आधार पर खरीदें बेचें जातें हैं।
Net Asset Value का मूल्य बाजार के अनुसार बदलता रहता हैं।

म्यूचुअल फंड खरीदते समय यह म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान देना आवश्यक है जिससे अपना नुकसान होने से बचा जा सकें।

फंड मैनेज का अनुभव | फंड मैनेज करने वाली कंपनी या फंड मैनेजर को  म्यूचुअल फंड को मैनेज करने का कितने वर्षों का अनुभव है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है।

एक्सपेंस रेश्यो | म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर आपके निवेश के 1.5-2.5% तक होता है। एक्सपेंस रेश्यो वो फीस होती है जिसे आप AMC को अपना फण्ड मैनेज करने के लिए देना होता है अलग अलग AMC का एक्सपेंस रेश्यो कम ज्यादा भी हो सकता हैं। यह इसलिए कम है क्योंकि एक म्यूचुअल फण्ड में कई लोग निवेश करते हैं और सब के बीच ये फीस बात जाती है।

लॉक-इन पीरियड | उस समय को कहा जाता है जब म्यूच्यूअल फण्ड के यूनिट्स को निकाला नहीं जा सकता है। यह इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम या रिटायरमेंट फंड्स के लिए मान्य होता है।  

जैसे - ELSS म्यूच्यूअल फंड्स में 3 सालों का लॉक-इन पीरियड होता हैं और रिटायरमेंट म्यूच्यूअल फण्ड में 5 सालों का लॉक-इन पीरियड होता है।

एग्जिट लोड | जब भी आप म्यूच्यूअल फंड्स को कम समय के लिए अपने पास रख कर बेचते या रिडीम करते है तो AMC आपसे पेनल्टी के रूप में एक छोटा से चार्ज लेती है जिसे एग्जिट लोड कहा जाता है यह इसलिए लगाया जाता है ताकि आप म्यूच्यूअल फंड्स को जल्दी रिडीम न करे और लम्बे समय के लिए रखें।

एग्जिट लोड हर म्यूच्यूअल फण्ड के लिए अलग अलग होता है और हर म्यूच्यूअल फण्ड में एग्जिट लोड नहीं भी हो सकता है। AMC अपने हिसाब से एग्जिट लोड का लगती है।

पोर्टफोलियो | क्या वह म्यूचुअल फंड है, ज़्यादा जोखिम के साथ छोटी कंपनियों में निवेश कर ज़्यादा लाभ कमा रहा है? आपको ये भी देखना चाहिए कि वो म्यूचुअल फण्ड किसी एक क्षेत्र में अपना पैसा लगा रहा है या अलग-अलग में ये भी देखें कि कितना पैसा इक्विटी में लगाया गया है और कितना डेट में।
दूसरे शब्दों में आपने जिस म्यूचुअल फंड का चुनाव किया है उसका पोर्टफोलियो क्या है यह भी देखना है बहुत जरूरी हो जाता है की आपका पैसा कौन-कौन से स्टॉक में कितने प्रतिशत में पैसे को लगाया हैं। अगर दिए गए म्यूचुअल फंड आपको पसंद नहीं है तो दूसरे फंड का भी चुनाव कर सकते हैं।

बेंचमार्क | यह एक स्टैंडर्ड होता है, जिससे म्यूचुअल फंड के परफॉर्मेंस की तुलना की जाती है। सेबी ने 2012 से फंड हाउस के लिए बेंचमार्क इंडेक्स जारी करना जरूरी बनाया हुआ है और यह बेंचमार्क इंडिपेंडेंट होता है और यह आपके फंड के उद्देश्यों पर आधारित होता है। ज्यादातर लार्ज कैप ओरिएंटेड इक्विटी फंड्स खुद को सेंसेक्स या निफ्टी से बेंचमार्क करते हैं।
इनके अलावा सीएनएक्स मिडकैप, सीएनएक्स स्मॉल कैप, एसएंडपी बीएसई 200 जैसे बेंचमार्क भी हैं। इसलिए सीएनएक्स मिडकैप से बेंचमार्क किए इक्विटी म्यूचुअल फंड के रिटर्न की तुलना इंडेक्स के हिसाब से करना चाहिए।

पारदर्शिता | म्यूचुअल फंड सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत का घोषणा प्रतिदिन के आधार पर की जाती है। उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को दी जाती है।

क्या म्यूचुअल फंड के रिटर्न/प्रॉफिट पर टैक्स लगता हैं ?

म्यूचुअल फंड में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न भी टैक्‍स के दायरे में आता है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) निवेशक को देना पड़ता है। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसे, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है म्यूचुअल फंड डिविडेंड के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) भी लगता है और फंड के मुताबिक टीडीएस कटता है।




म्यूचुअल फंड क्या होता हैं ? What is Mutual Fund ?







नोट | म्यूचुअल फंड निवेश बजार जोखिमों के अधीन है। 
बजार में निवेश अपने जोखिमों पर करें। इस पोस्ट का मक़सद जानकारी आप तक पहुंचाना है निवेश से संबंधित किसी में भी पैसा लगाने का सुझाव नहीं दे रहा है।





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