किसी भी शेयर को खरीदने और बेचने के लिए शेयर का
मूल्यांकन करना बहुत मुश्किल होता हैं आपके पास कंपनी का बैलेंस शीट और सभी डेटा हो फिर भी, कंपनी के बैलेंसशीट या फंडामेंटल एनालिसिस करते समय बहुत से
रेशियो और मेट्रिक्स मिल जायेंगे जो किसी भी कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं तो आप कैसे पता लगाएंगे की कौनसी राशियों और मेट्रिक्स हैं जो आपको किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कर के सही मायने में निवेश की जानकारी दे।
यहां हम आपको कुछ फंडामेंटल राशियों के बारे में बता राहें हैं जो आपको जानना चाहिए जब आप अच्छे शेयरों को खरीदने के लिए बाजार में छानबीन कर रहे हों।
10 Stock Market Fundamental Ratios You Should Know ?
10 स्टॉक मार्केट फंडामेंटल रेशियो जो आपको पता होना चाहिए ?
- PE Ratio
- PEG Ratio
- PS Ratio
- PCF Ratio
- PBV Ratio
- Debt-to-equity
- Return on equity
- Return on assets
- Profit margin
- Dividend payout ratio
आईए जानतें हैं इनके बारे में..
- PE Ratio - PE Ratio का मतलब होता है ‘Price to Earning Ratio’ यह एक फाइनेंसियल अनुपात होता है जो यह बताता है कि आपको किसी कंपनी में 1 रुपये कमाने के लिए कितना प्राइस देना पड़ता है, इस अनुपात को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि एक ही सेक्टर की दो कंपनियों में से आपको किसमें पैसा निवेश करना चाहिए। अगर किसी कंपनी का pe रेश्यो 10 है तो इसका मतलब है कि आपको उस कंपनी से 1 रुपये कमाने के लिए 10 रुपये देने होंगे।
- PEG Ratio - PEG Ratio का मतलब Price Earning To Growth Ratio या PEG Ratio एक मूल्यांकन Ratio होता है, जो कंपनी के एनालिसिस करनें में मदद करता है। और ये कंपनी को पहचानने में मदद करता है कि स्टॉक Overvalued है, Undervalued है या Fair Valued हैं या नहीं। एक तरीके से यह किसी कंपनी के फंडामेंटल एनालाइसिस करने में भी मदद करता है और नये इन्वेस्टर के लिए ये स्टॉक मार्केट में एक Indicator की तरह काम करता है। जैसा कि, Price Per Earning Ratio या PE Ratio वह प्राइस होता है जो खरीदार कंपनी द्वारा अर्जित प्रत्येक रुपये के लिए पेमेंट करता है। इसी प्रोसेस के अनुसार, PEG Ratio कंपनी के प्रॉफ़िट या प्रॉफ़िट वृद्धि दर की वृद्धि दर के मुकाबले P/E का Ratio होता है। दरअसल, PEG Ratio में PE, P/E Ratio के लिए होता है, और G प्रॉफ़िट के लिए होता है। किसी कंपनी का PEG Ratio उसके P/E Ratio और उसकी Profit Growth Rate का Ratio होता है। Ratio ये यह बताता है कि किसी कंपनी का Price Earnings Ratio उसकी प्रॉफ़िट में बढोतरी दर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। PEG Ratio को 1 या थोड़ा 1 के आसपास होना चाहिए।
- PS Ratio - PS Ratio का मतलब Price to Sales होता हैं। कई बार निवेशक अपने निवेश के लिए कंपनी चुनते वक्त कंपनी की कमाई से ज्यादा कंपनी की बिक्री पर ध्यान देते हैं। क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी की कमाई में किसी खास वजह से कमी आ गई हो। कई बार किसी के एकाउंटिंग फैसले की वजह से भी कंपनी के मुनाफे या कमाई में कमी दिखाई पड़ती है, जैसे किसी बड़े भुगतान की वजह से या किसी दूसरी वजह से। ऐसे में कंपनी की बिक्री पर ध्यान देना निवेशक के लिए बेहतर होता है। इस रेश्यो के तहत कंपनी की बिक्री और कंपनी के शेयरों की कीमत के बीच का अनुपात देखा जाता है प्राइस टू सेल्स रेश्यो को निकालने का फार्मूला है।
- PCF Ratio - PCF Ratio का Price to Cash Flow Ratio होता हैं यह एक अनुपात है जिसका उपयोग किसी कंपनी के बाजार मूल्य की उसके नकदी प्रवाह से तुलना करने के लिए किया जाता है। इसकी गणना सबसे हाल के वित्तीय वर्ष (या सबसे हालिया चार वित्तीय तिमाहियों) में कंपनी के ऑपरेटिंग कैश फ्लो द्वारा कंपनी के मार्केट कैप को विभाजित करके की जाती है, या, समतुल्य रूप से, प्रति शेयर स्टॉक मूल्य को प्रति शेयर ऑपरेटिंग कैश फ्लो से विभाजित करें। सिद्धांत रूप में, स्टॉक का मूल्य/नकदी प्रवाह अनुपात जितना कम होगा, स्टॉक का मूल्य उतना ही बेहतर होगा। उदाहरण के लिए, यदि दो कंपनियों के शेयर की कीमत है 25/शेयर और एक कंपनी का नकदी प्रवाह है 5/शेयर (25 ⁄ 5 =5) और दूसरी कंपनी का कैश फ्लो है 10/शेयर (25 ⁄ 10 =2.5), तो अगर बाकी सब समान है, तो उच्च नकदी प्रवाह (कम अनुपात, P/CF=2.5) वाली कंपनी का मूल्य बेहतर है।
- PBV Ratio - PBV Ratio का मतलब Price to Book Valve हैं। Book Value किसी कम्पनी की वास्तविक वैल्यू होती है। यह किसी शेयर होल्डर को मिलने वाली वास्तविक वैल्यू है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर कोई कम्पनी अपने सभी शेयर बेच दे और वह सारी देनदारी भी चुका दे तो उसके पास जो पैसा बचेगा वह उसकी Book Value होगी। इसे किसी कम्पनी की नेट एसेट वैल्यू भी कहते हैं। किसी कम्पनी की मार्केट वैल्यू, शेयर मार्केट में उसके शेयर की कीमत होती है, जबकि Book Value उसकी वास्तविक वैल्यू होती है। फंडामेंटल एनालिसिस के लिए प्राइस टू बुक वैल्यू रेशियो को समझना बेहद जरूरी है। इसके जरिये किसी कम्पनी का वैल्यूएशन निकाला जाता है व निवेशक यह समझ पाते हैं कि इसके शेयर अंडरवैल्यूड या ओवरवैल्यूड तो नहीं हैं। अगर यह रेशियो 1 से कम है तो वह कम्पनी अंडर वैल्यूड है।
- Debt-to-Equity - Debt to Equity ratio को समझने के लिए आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि डेट और इक्विटी क्या हैं। ऋण वह पैसा है जो कंपनी पर बकाया है। जब कोई कंपनी पैसे उधार लेती है, तो उसे वापस करने के लिए आवश्यक राशि ऋण है। एक कंपनी आमतौर पर अपने ऋण पर ब्याज का भुगतान करती है। इक्विटी वह पैसा है जिसका स्वामित्व कंपनी के पास है। इसे आमतौर पर शेयरधारक की इक्विटी के रूप में जाना जाता है। शेयरधारक की इक्विटी कंपनी में मालिक का निवेश है। डेट टू इक्विटी रेशियो के साथ आप यह पता लगा सकते हैं कि कंपनी का फाइनेंसिंग उधारी या इक्विटी पर निर्भर करता है या नहीं। यह यह भी दिखाता है कि क्या कंपनी के पास सभी बकाया ऋणों की देखभाल करने के लिए पर्याप्त इक्विटी पूंजी है। यह मालिक की इक्विटी की तुलना कंपनी के कुल ऋण से करता है।
- Return on Equity - Return on Equity, ROE का मतलब होता है Return on Equity। सरल शब्दों में किसी कंपनी ने अपने Equity पर कितना रिटर्न कमाया यह आप ROE – Return on Equity से जान सकते हैं। ROE से हमें किसी भी कंपनी के विकास यानी Growth को समझने में मदद मिलती है। Return on Equity एक प्रॉफिटेबिलिटी रेश्यो है। जो हमें यह बताता है कि कंपनी ने अपने निवेशकों के पैसों से कितना रिटर्न निवेशकों को दिया है। ROE से हम किसी भी कंपनी के पिछले सालों के रिटर्न्स को देखकर उसकी प्रोफिट कमाने की शमता को जान सकते हैं। आसान भाषा में कहा जाएं तो किसी भी कंपनी में निवेशकों ने लगाएं हर 1 रूपए पर कंपनी ने कितना प्रतिशत रिटर्न जनरेटर किया यह हम Return on Equity से निकाल सकते है।
- Return on Assets - Return on Assets कंपनी के पास पैसो के आलावा कंपनी के पास Assets भी होता हैं किसी भी कंपनी का Return on Assets हमें बताता है की क्या कंपनी अपने Assets का उपयोग कर के अच्छा रिटर्न कमा रही है या नहीं ? जैसे अगर किसी कंपनी के पास 10 मशीने है , तो क्या वह उन सभी का अच्छे से उपयोग कर रही है , या नहीं । ROA हमें यह जानकारी देता है , की क्या कंपनी अपने सभी Capital ( पैसे ) के ऊपर अच्छा रिटर्न कमा रही है या नहीं। जिस से हम समान व्यापार करने वाली कम्पनियों की तुलना कर सकते है। कंपनी का ROA जितना ज्यादा होगा कंपनी के लिए उतना ही बेहतर होगा।
- Profit Margin - Profit Margin किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति के आकलन का एक सटीक तरीका माना जाता है। कंपनी की कुल बिक्री व लाभ के अनुपात के आधार पर इसे निकाला जाता है। कुल बिक्री से कुल लागत को घटाने से मुनाफा निकाला जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी उत्पाद की लागत अगर 100 रुपये है और उसकी कीमत 150 रुपये है तो यहां लाभ हुआ 50 रुपये। यानी कंपनी ने 50 फीसद का मुनाफा कमाया। 50 फीसद का मुनाफा कंपनी के बिक्री मूल्य का 33.33 फीसद हुआ। यह 33.33 फीसद ही कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन हुआ। कंपनी प्रबंधन प्रॉफिट मार्जिन का इस्तेमाल अपने निवेश संबंधी आंतरिक फैसले करने में व्यापक तौर पर करता है।
- Dividend Payout Ratio - कंपनियां जब मुनाफे में से कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को देती हैं तो उसे डिविडेंड यानी लाभांश कहा जाता है, डिविडेंड भी शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है। हालांकि, डिविडेंड देना कंपनियों के लिए कोई अनिवार्य नहीं होता है। इसी डिविडेंड से जुड़ा एक और टर्म है डिविडेंड पे आउट रेश्यो डिविडेंड पे आउट रेश्यो को सीधे शब्दों में समझे तो ये यह जानने का तरीका है कि किसी कंपनी ने अपनी आय में से कुल कितना पैसा शेयरधारकों को दिया है, यानी कंपनी द्वारा दिया गया कुल डिविडेंड उसकी आय के अनुपात में कितना है। मान लीजिए अगर डिविडेंड पे आउट रेश्यो 30 फीसदी आता है तो इसका मतलब है कि कंपनी डिविडेंड के रूप में शेयरधारकों को आय का 30 फीसदी हिस्सा दे रही है।
डिस्क्लेमर - इस लेख में दी गई जानकारी केवल सूचना और शिक्षा के लिए हैं। इसे निवेश की सलाह न माना जाए। किसी भी निवेश से पहले आप निवेश सलाहकारों से राय लें। निवेश से संबंधित किसी भी मामले में Ultimate Filmy जिम्मेदार नहीं है।
0 Comments